Saturday, 18 August 2018

बचपन की बारिश



बचपन की बारिश

बारिश के बहते पानी में
छप्प - छप्प पैर चलाना
दोस्तों पर पानी उछालना
खुद भीगना .. 
दोस्तों को भी भिगाना
आज सुबह सुबह..
बारिश का आना अौर
बचपन का फिर से गुदगुदा जाना !!
न जाने कहां गुम गई 
वो बचपन की बारिश और उसमें नहाना !
कागज नहीं तो क्या !
चप्पल को पानी में बहाकर...
नाव के मजे लेना
न खुद की परवाह
न बस्ते में भीगती...
कॉपी किताबों की परवाह
भीगना-भिगाना मस्ती लुटाना
न जाने कहां गुम गई
वो बचपन की बारिश और उसमें नहाना !
जानकर छाता घर भूल जाना
रैनी डे की उम्मीद में
दोस्तों के साथ....
लकधक भीगते हुए स्कूल पहुंचना
छुट्टी की घंटी बजते ही..
खुद को नायक सा जतलाना
न जाने कहां गुम गई
वो बचपन की बारिश और उसमें नहाना !
झमाझम बारिश में भी
यूँ ही निकल जाना
अब मामूली फुहारों से भी
खुद को बचाना !
बारिश का मिजाज नहीं बदला..
वो आज भी नर्म स्पर्श के स्पंदन से
मुझे अपने पास बुलाती है
छाता हो या बरसाती
रोक देते हैं मुझे !
शायद बदले हालात में
अब मैं ही हो गया हूँ सयाना !
न जाने कहां गुम गई
वो बचपन की बारिश और उसमें नहाना !
....अनहद

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