Saturday 11 July 2015

गौरैया


गौरैया...

क्यों रूठी हो गौरैया रानी
आती क्यों नही लेने दाना पानी,
बचपन से तुमको फुदकते देखा
आँगन में सबसे पहले देखा,
बच्चों का तुम मन बहलाती
फुदक-फुदक हम सबको दौड़ाती,
सुबह सवेरे तुम चिंचियाती
नींद से हमको रोज़ जगाती,
हमने झुरमुट और पेड़ उगाये
आओ घोंसला फिर से बनायें,
दाना पानी की चिंता ना करना
जितना चाहो तुम खा-पी लेना,
गौरैया रानी अब मान भी जाओ
मेरे आँगन में लौट के आओ,
बच्चे सब तरसे तुम बिन
फुदक-फुदक सबका मन बहलाओ. 
 
.. विजय जयाड़ा 



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