Wednesday 30 September 2015

आसरा


 आसरा

अलग-अलग खूब पेड़ लगे हैं
हरियाली खिली है मेरे स्कूल
कोई ऊंचा कोई बांह फैलाये
  पेड़ों की छाया में मेरा स्कूल..

पतझड़ में सूखे सूखे दीखते
बसंत में पत्तों से लद जाते
नीम छाँव में इकट्ठे होकर
  खेल, खेल हम मस्ती करते..

काला कागा नीम पर आता
कांव कांव कौवों को बुलाता
दूर कहीं से कौवे आ जाते
  छोटे पक्षी डर कर उड़ जाते..

पीपल छाँव फैले आँगन में
गौरैया दिन भर चुगती रहती
खुश होकर जब पंख फैलाती
   मिटटी उड़ा कर खूब नहाती..

कोयल कूकती किसी डाल पर
सबका मन बहलाती रहती
कोयल की मीठी कूक सुनकर
   परीक्षाओं की याद घिर आती !!

बन्दर कूदते डाल डाल पर
इस पेड़ से उस बड़े पेड़ पर
छुप – छुप हम देखते रहते
  खुश होकर सब शोर मचाते..

आओ हम सब पेड़ लगायें
पशु-पक्षियों का आसरा सजायें
सदाबहार एक नीम लगाकर
  हवा को मिलकर शुद्ध बनायें..

.. विजय जयाड़ा

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