Saturday 26 September 2015

सर्दी


 

सर्दी

आ गयी फिर से प्यारी सर्दी
पर आने में देर क्यों कर दी !
पसीना अब नहीं टपकता
हर कोई ठण्ड से जकड़ा दिखता
छाया हर तरफ कोहरा-कोहरा
धूप का अब कम ही होता दौरा
दीदी जैकेट को जिदिया रही है
मम्मी टांड और संदूक टटोल रही हैं
खूब बिक रही मूंगफली रेवड़ियाँ
धूप के लिए खुल गयी खिड़कियाँ
हुए दिन छोटे और रातें लम्बी
अँधेरे की अब चौधराहट जमती
स्कूल जाने का वक्त हो रहा
भैया रजाई में बेसुध सो रहा
मम्मी ने जोरों से डांट लगायी
भैया ने त्योंही हटाई रजाई
सर्दी में जल्दी पढ़ कर सो जाते
पूरी रात सपनों में खोये रहते
गर्मी को कोसों दूर भगाती
आ गयी फिर से प्यारी सर्दी ..
 
..विजय जयाड़ा

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